नई दिल्ली। न्याय के देवता शनिदेव को अशुभ ग्रहों की श्रेणी में रखा जाता है। हालांकि, शनिदेव कर्मफल दाता हैं। अच्छे कर्म करने वाले को कभी निराश नहीं करते हैं। उन्हें कर्म के अनुसार फल देते हैं। अच्छे कर्म करने वाले जातकों पर शनिदेव की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से जातक को अल्प समय में सफलता मिलती है।

न्याय के देवता शनिदेव की कुदृष्टि (बुरी दृष्टि) पड़ने पर जातक को जीवन में ढेर सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति लाख चाहकर भी अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ जाता है। ऐसा शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैय्या और शनि की महादशा के दौरान होता है। इसके साथ ही बुरे कर्म करने वाले लोगों को शनिदेव अवश्य ही दंडित करते हैं।

वर्तमान समय में मकर, कुंभ और मीन राशि के जातक साढ़े साती से पीड़ित हैं। वहीं, कर्क और वृश्चिक राशि के जातक शनि की ढैय्या से पीड़ित हैं। ज्योतिषियों की मानें तो बहुत जल्द शनिदेव राशि परिवर्तन करने वाले हैं। शनिदेव के राशि परिवर्तन करने से कई राशि के जातकों को शनि की बाधा से मुक्ति मिलेगी। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

शनिदेव के कुंभ राशि में रहने के दौरान कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों पर शनि की ढैय्या चल रही है। अगले महीने यानी मार्च महीने में शनिदेव राशि परिवर्तन करेंगे। शनिदेव के राशि परिवर्तन करने से कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिलेगी। हालांकि, सिंह और धनु राशि के जातकों पर शनि की ढैय्या शुरू हो जाएगी।

न्याय के देवता शनिदेव 29 मार्च को कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में शनिदेव अगले ढाई साल तक रहेंगे। शनिदेव के मीन राशि में गोचर करने के साथ ही मकर राशि के जातकों को शनि की साढ़े साती से मुक्ति मिलेगी। इस राशि के जातकों पर साढ़े साती का अंतिम चरण चल रहा है। शनिदेव के राशि परिवर्तन करने से मेष राशि के जातकों पर साढ़े साती का पहला चरण शुरू होगा।