
गोरखपुर में “ऑपरेशन कनविक्शन” की बड़ी सफलता, दुष्कर्म के आरोपी को सुनाई ये बड़ी सजा
उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक द्वारा संचालित “ऑपरेशन कनविक्शन” अभियान के तहत गोरखपुर पुलिस को एक महत्वपूर्ण सफलता हाथ लगी है। पढ़िए एनसीएफबी न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक द्वारा संचालित “ऑपरेशन कनविक्शन” अभियान के तहत गोरखपुर पुलिस को एक महत्वपूर्ण सफलता हाथ लगी है। वर्ष 2006 में दर्ज दुष्कर्म के एक गंभीर मामले में न्याय की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। थाना शाहपुर में पंजीकृत इस मामले में आरोपी आलोक निगम को अदालत ने दोषी करार देते हुए 10 वर्ष के सश्रम कारावास और 21,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।
गोरखपुर की अदालत ने माना दोषी
एनसीएफबी न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, यह मामला थाना शाहपुर में 431/2006 के तहत दर्ज किया गया था, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 376 , 323 और 506 शामिल थीं। अभियुक्त आलोक निगम, पुत्र स्वर्गीय सुरेशचंद्र निगम, निवासी सी-0398, गुजैनी, थाना गोविंद नगर, जनपद कानपुर नगर को अपर सत्र न्यायाधीश/पीसी-05 गोरखपुर की अदालत ने दोषी माना और सजा सुनाई।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, गोरखपुर के नेतृत्व में प्रभारी निरीक्षक नीरज कुमार राय, थाने के पैरोकार और मॉनिटरिंग सेल की प्रभावी और निरंतर पैरवी से यह सजा सुनिश्चित हो सकी। इस मामले में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (क्रिमिनल) श्री अजीत प्रताप शाही की भूमिका भी सराहनीय रही, जिनके मजबूत तर्कों और कानूनी दलीलों के चलते अभियुक्त को दोषी साबित किया जा सका।
“ऑपरेशन कनविक्शन” के तहत यह फैसला न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने में मील का पत्थर साबित हुआ, बल्कि समाज में अपराधियों के विरुद्ध सख्त संदेश भी गया है। यह पहल न्याय प्रणाली की मजबूती और पुलिस की प्रतिबद्धता का प्रतीक बनती जा रही है, जिसका उद्देश्य लंबित मामलों में शीघ्र न्याय सुनिश्चित कर अपराधियों को उनके कृत्य की सजा दिलवाना है।
गोरखपुर पुलिस द्वारा “ऑपरेशन कनविक्शन” के तहत की गई यह कार्रवाई न केवल एक ऐतिहासिक न्यायिक सफलता है, बल्कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर सख्त कार्रवाई का स्पष्ट संकेत भी है। इस सख्ती से अपराधियों में भय पैदा होगा और पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद मजबूत होगी। पुलिस और अभियोजन पक्ष की समन्वित मेहनत से यह फैसला साबित करता है कि यदि इच्छाशक्ति हो तो पुराने से पुराने मामलों में भी न्याय संभव है। यह पहल प्रदेश की न्याय प्रणाली में पारदर्शिता और दृढ़ता लाने का सशक्त उदाहरण बन रही है।